क्या बताऊँ कौन हूँ मैं

आपका यह प्रश्न मुझसे यह बताऊँ कौन हूँ मैं
और मैं ये सोचता हूँ क्या बताऊँ कौन हूँ मैं
 
शब्द हूँ मैं भावनाएं कर रहा है जो प्रकाशित
पुष्प हूँ में वाटिकाएं कर रहा है जो सुवासित
दीप हूँ संघर्षरत जो हर घड़ी रहता तिमिर  से
याकि  हूँ मैं रत्न जो श्रृंगार को करता अलंकृत
 
सोचता हूँ एक दिन यह जान पाऊं कौन हूँ मैं
और फिर मैं आपको आकर बताऊँ कौन हूँ मैं
 
रूप को सज्जित करे मैं वह अधर की मुस्कराहट
पाँव को नर्तित करे मैं पायलों की झनझनाहट
ले रहा अंगडाइयां जो साज में संगीत हूँ मैं
याकि हूँ संकल्प को उत्कर्ष की मैं छटपटाहट
 
एक दिन यह भेद सारे खोल पॉऊ कौन हूँ मैं
है तभी संभव बताऊँ आपको यह कौन हूँ मैं
 
भोर की पहली किरण हूँ जो दिवस के द्वार खोले
सिन्धु हूँ जो द्वार पर आये उसे निज में समो ले
हूँ गगन निस्सीम करता कल्पनाएँ जो पराजित
याकि हूँ वह बुदबुदाहट जोकि शिशु के होंठ बोले
 
हो सके संभव कभी पा जाऊँ उत्तर कौन हूँ मैं
तब सुनिश्चित आपको फिर आ बताऊँ कौन हूँ मैं

1 comment:

ajit nehra said...

bhut accha likhte ho g if u wana start a best blog site look like dis or professional 100% free than visit us
http://www.nvrthub.com

नव वर्ष २०२४

नववर्ष 2024  दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे  अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...